आवास और भूमि अधिकार संगठन (एचएलआरएन) समुचित आवास एवं भूमि के मानव अधिकारों की प्रतिष्ठा, रक्षा, संवर्धन और कार्यान्वयन का काम करता है, ताकि सभी लोग और समुदाय, खासकर हाशिये पर पड़े समुदाय, शांति और इज्जत के साथ जीवन यापन कर सकें। एचएलआरएन की स्थापना सन् 1999 में नई दिल्ली में की गयी। तब इसके पीछे इस क्षेत्र में आवास एवं भूमि अधिकारों की बढ़ती जरूरतों पर अनुसंधान, शिक्षा और कानूनी पहल को ध्यान में रखा गया था। हमारे काम का विशेष जोर समुचित आवास और भूमि अधिकारों के मामले में महिलाओं को समान अधिकार देने और इन अधिकारों की रक्षा करने पर है। एचएलआरएन का उद्देश्य कानूनी सहायता, अनुसंधान, मानव अधिकारों की जानकारी और स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठन बनाकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है। हमारा कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जो लोगों को इस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य संगठनों, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ जोड़ने के लिए उपयोगी मंच मुहैया कराता है। हैबिटाट इंटरनेशनल कोइलिशन के एक अंग के रूप में एचएलआरएन आवास और पर्यावास मुद्दों पर वैश्विक प्रक्रियाओं के लिए एकजुटता बनाने में मदद और योगदान देता है।
एचएलआरएन का उद्देश्य विशेषतः सबसे ज्यादा उपेक्षित और भेदभाव के शिकार सामाजिक समूहों और समुदायों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को बढ़ावा देना है। खासकर हमारा काम समुचित आवास के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय और जहां लागू होंगे वहां के कानूनों के बीच एक व्यावहारिक और उपयोगी विधिक ढांचा तैयार करने पर केन्द्रित है। हम भूमि अधिकार को भी मानव अधिकार के रूप में कानूनी मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।
मानव अधिकारों के तहत प्राप्त सुरक्षित आवास और भूमि की प्राप्ति और जीवन जीने की बेहतर स्थितियों के लिए संघर्ष कर रहे समुदायों के प्रति एचएलआरएन की प्रतिबदॄता है। हम चाहते हैं कि-
एचएलआरएन तीन स्तरों पर व्यावहारिक सम्पर्क रखता है। प्राथमिक तौर पर संगठन मानव अधिकारों और मानव विकास में कार्य करने वाले लोगों के बीच सहभागिता बनाये रखता है। यह समुचित आवास के मानव अधिकार को मुख्यधारा में लाने के लिए एक वृहद संयुक्त निर्माण भूमिका भी निभाता है। नीतिगत सिदॄांत के तहत एचएलआरएन इस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य संगठनों के साथ रचनात्मक संबध रखता है।
विश्व की अधिकांश आबादी अलग-अलग आकार-प्रकार के घरों में निवास करती है। विश्व जनसंख्या की लगभग आधी आबादी को उपयुक्त आवास के लिए निर्धारित आवश्यक मानको के अनुरूप आवासीय सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून तथा इसकी घोषणा में यह भली-भांति सुनिशिचत किया गया है कि आवास मात्र एक छत और चार दीवारों का एक भौतिक ढांचा भर नहीं है, बलिक यह एक व्यापक परिकल्पना है, जिसमें अनेक तत्वों और अन्य चीजों का पूर्ण समावेश होता है, जो एक सुरक्षित और पक्के आवास स्थल के लिए जरूरी है। इसके अतिरिक्त उपयुक्त आवास महज एक स्वैचिछक लक्ष्य नहीं है, बलिक यह सभी मनुष्यों का एक मौलिक अधिकार है। वर्ष 1948 में मानवाधिकारों के वैशिवक घोषणा पत्र द्वारा यह सुनिशिचत किया जा चुका है, जो उपयुक्त आवास के अधिकार को जीने के उपयुक्त स्तर के लिए एक अभिन्न घटक के रूप में मान्यता देता है।
मानवाधिकारों पर वैशिवक घोषणा पत्र (यूडीएचआर) का अनुच्छेद 25.1 व्यक्त करता है कि:-
''प्रत्येक व्यकित को एक स्तरीय जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है जिसमें भोजन, कपड़े, घर, चिकित्सा देखभाल व जरूरी सामाजिक सेवाएं समिमलित होती हैं। इसके साथ ही बेरोजगारी, बीमारी, अपंगता, विधवा होने पर, वृद्धावस्था में अथवा आजीविका की ऐसी परिसिथति उत्पन्न हो जाने पर जो व्यकित के नियंत्रण से बाहर हो, इन सभी सिथतियों में भी उसे सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है।
मानवाधिकारों के वैशिवक घोषणा पत्र में स्थापित प्रावधानों के आधार पर उपयुक्त आवास के अधिकार को 'आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संधि (आर्इसीर्इएसआर) 1966 द्वारा अधिक सुस्पष्ट, सुदृढ़ एवं विस्तारित किया गया है। इस उपयुक्त आवास के अधिकार को अनुच्छेद 11.1 निम्न प्रकार से व्यक्त करता है:-
वर्तमान संकल्प से संबंधित सभी राज्य पक्ष प्रत्येक व्यकित को जीने के लिए उपयुक्त स्तर का अधिकार प्रदान करते हैं, स्वयं उसके लिए तथा उसके परिवार के लिए भी। इस अधिकार में उपयुक्त भोजन, कपड़ा व आवास तथा जीने की सिथतियों में सतत सुधार शामिल हैं।
उपयुक्त आवास पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विशेष प्रतिवेदक ने उपयुक्त आवास के मानवाधिकार को परिभाषित करते हुए लिखा है:-
''प्रत्येक महिला, पुरुष, युवा व बच्चे को एक सुरक्षित घर प्राप्त करने और उसे बनाये रखने का अधिकार प्राप्त है, ताकि वह अपने समुदाय में शांति और सम्मान के साथ जीवन जी सके।
उपयुक्त आवास का मानवाधिकार सम्मान से जीने की अनुभूति से जुड़ा हुआ है तथा अन्य सभी मानवाधिकारों जैसे भोजन का अधिकार, काम का अधिकार, स्वास्थ्य, पानी, भूमि का अधिकार तथा घर एवं परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के अधिकार से सीधा जुड़ा हुआ है।
जबरन बेदखली क्या है?
जबरन बेदखली के दौरान कौन से मानवाधिकार प्रभावित होते हैं?
जबरन बेदखली की स्तिथि में अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत आपके क्या अधिकार हैं?
जबरन बेदखली की स्तिथि में भारतीय कानून के तहत आपके क्या अधिकार हैं?
बेदखली के मामले में अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देश व मानक क्या हैं, जिनका अनुपालन आवश्यक है?
जबरन बेदखली की स्तिथि में आपके लिए कौन से समाधान उपलब्ध हैं?
जबरन बेदखली को रुकवाने विरोध अथवा न्याय पाने के लिए उठाये जा सकने वाले कदम'
जबरन बेदखली के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन होने पर आप किस से संपर्क कर सकते हैं?